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उ.
प्र. १४६ खेमिल के कहने पर यात्रियों ने क्या किया ? खेमिल के कहने पर सभी यात्री ध्यानस्थ महावीर के चरणों में सिर झुका रहे थे --- "हे प्रभो ! हे महाश्रमरण हमें इस संकट से बचाइये आप ही हमारे रक्षक हैं ।"
प्र. १४७ जलोपसर्ग कैसे शांत हो गया था ?
उ.
श्रमरण महावीर के दिव्य प्रभाव से धीरे-धीरे तूफान शांत हो गया, लहरों का आलोड़न कम हुआ और नाव अपनी सहजगति पर आ गई | यात्रियों के जी-में-जी आया । वे प्रभु को वंदना करने लगे । नाव किनारे पहुंची और सभी यात्री कुशल क्षेमपूर्वक उतर कर अपने अपने गंतव्य की ओर चल दिये ।
प्र. २४५ म. स्वामी के जलोपसर्ग के समय पर किसने
रक्षा की थी ?
उ.
कंवल-संबल नामके दो नागकुमार देवों ने ।
प्र. १४९ म. स्वामी जिस नाव में बैठे थे उसकी रक्षा
उ.
कंबल - संवल ने कैसे की थी ?
कंबल-संवल नामके दो भक्त नागकुमार देवों ने सुदंष्ट्र देव को इस दुष्कर्म के लिए धिक्कार |