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शिष्य के पुनः उस बात कहने पर गुरुजी के एड़ी से चोटी तक आग लग गई। क्रोधांध होकर अपना रजोहरण उठाया और उसे ही मारने दौड़े। वेचारा शिष्य घबराकर इधरउधर हो गया, अन्धेरे में गुरुजी एक खंभे से टकरा गये, उनका सिर फट गया, वहीं गिर
पड़े और क्रोधावेश में ही उनकी मृत्यु हो गई। प्र. १२७ गोभद्र मुनि मृत्यु के बाद कहाँ उत्पन्न हुए थे?
अत्यन्त क्रोध दशा में मृत्यु होने पर वे ज्योतिषी
देव वने। प्र. १२८ ज्योतिपी देव का आयुष्य पूर्ण कर कहाँ जन्म
लिया था ? ज्योतिपी देव का आयुष्य पूर्ण कर कनकखल
आश्रम में कुलपति के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। कौशिक उनका नाम रखा था। लेकिन स्वभाव अत्यन्त क्रोधी होने पर आश्रम
वासी उसे चंडकौशिक के नाम से पुकारने लगे। प्र. १२६ चंडकौशिक कुमार किसको मारने दौड़ा था?
एक बार आश्रम के उद्यान में श्वेताम्बी के कुछ राजकुमार पाये और वे मनचाहे पुष्प
उ.