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प्र. २७ म. स्वामी ने त्रिशला माता की कुक्षि में क्या
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संकल्प किया था ?
उ.
प्र. २८ म. स्वामी ने त्रिशला माता की कुक्षि में ऐसा संकल्प क्यों किया था ?
उ.
जब तक माता पिता जीवित रहेंगे, तब तक उनकी आँखों के सामने गृहत्याग कर श्रमण नहीं बनूँगा ।
उ.
मेरे कुछ क्षरण के वियोग की आशंका से ही माँ का हृदय जब इस प्रकार तड़पने लगा, तो मैं जब बड़ा होकर प्रव्रजित होऊँगा तो माँ के मन की क्या स्थिति होगी ? माता को कितनी असह्य पीड़ा और कितना दारुण संताप होगा । मातृस्नेह के उमड़ते वेग में महावीर ने ऐसा. संकल्प कर लिया था ।
प्र. २६ म. स्वामी मातृभक्त थे वह किस प्रसंग से जाना गया ?
एक दिन अचानक गर्भस्थ शिशु का हलन चलन व स्पंदन वन्द हो गया । गर्भ को सहसा स्थिर व निस्पन्द हुआ देखकर माता त्रिशला चिन्तितः हो उठी । तव उपयोग रखकर देखने से विचार