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"सकडालपुत्र ! तुम किसी देववाणी से प्रेरित. .
होकर यहाँ आये हो ?" प्र. ३६८ म. स्वामी से सकडालपुत्र ने क्या विनति.
की थी? उ. सकडालपुत्र विनम्रता और श्रद्धा के साथ ।
बोला-"भगवन् ! हाँ ! ऐसा ही है। मैंनेः
आपके दिव्य प्रभाव का साक्षात् अनुभव कियाः . है। आप मेरी भांडशाला में पधारिएं और
शैया-आसन आदि स्वीकार कीजिए।" प्र. ३६६ म. स्वामी ने सकडालपुत्र की विनति पर :
क्या किया था ? सकडालपुत्र के अति आग्रह पर महावीर.
उनकी भांडशाला में पधारे। प्र. ४०० म. स्वामी ने सकडालपुत्र का क्या समाधान :
किया था ? उ. नियतिवाद की असारता और पुरुषार्थ की :
प्रवलता का। प्र. ४०१ म. स्वामी से अपना समाधान पाकर सकडाल
पुत्र ने क्या किया था ? उ. . प्रभु के चरणों में धावकधर्म के व्रतों को.
ग्रहरण कर लिया।