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दूसरे उपाय की पूर्ति के लिये कालशौकरिक को राज सभा में बुलाया गया और राजाने आज्ञा दी कि एक दिन तुम किसी का वध मत करो । कालशौकरिक ने कहा -- महाराज ! आप दूसरा कुछ भी काम कह सकते हैं, लेकिन मैं एक समय के लिए भी वध नहीं छोड़ सकता । राजा ने अपनी बात का अनादर होते देखकर महामन्त्री को आज्ञा दी, जाओ, इसे ले जाओ और कुए में उल्टा लटका कर एक दिन तक रखो। राजा की आज्ञा का पालन किया गया और कालशौकरिक को कुए में उल्टा लटका दिया गया। लेकिन कालशौकरिक ५०० कल्पित भैंसे बनाकर उनका वध करता रहा । इस प्रकार दोनों ही युक्तियाँ सफल हुई । अतः राजा पूर्णिया श्रावक के घर पहुँचा ।
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प्र. ३२८ पूर्णिया श्रावक कौन था ? और क्या
करता था ?
उ.
पूर्णिया एक साधारण स्थिति का श्रावक था । वह अपने छोटे से आवास में अपनो छोटी सी