________________
( २५३ )
उ. ...: प्रभु ने श्रेणिक को नरक-गमन टालने के चार : - · उपाय बताये थे। .. (१) "अगर तुम्हारी दासी कपिला श्रमणों
को दान दे दे।" .. (२) "कालशौकरिक एक दिन के लिये जीव
वध छोड़ दे।" . . (३) “यदि पूरिणया श्रावक की एक सामायिक
.. तुम खरीद सको।" - (४) “यदि एक दिन तुम नवकारसी का
प्रत्याख्यान कर लो।" इन चार में से तुम यदि कोई एक भी कार्य सम्पन्न कर सको तो तुम्हारा नरक-गमन टल
सकता है। प. ३२७ म. स्वामी की बात सुनकर श्रेणिक ने क्या
किया था ? उ. प्रभु से अपना नरक-गमन टालने के उपाय
सुनकर महाराजा श्रेणिक ने सर्व प्रथम कपिला दासो से दान दिलवाया। बलात् दान दिलवाने के लिये राजा ने उसके हाथ में एक चम्मच बंधवा दिया था। दासी कपिला
देते-देते बोल पड़ी-यह दान में नहीं, श्रमिक '. का चाटु ही दे रहा है। .