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प्र. २६८ म. स्वामी ने उदायन से क्या कहा था ? उ. "राजन् ! जहा सुहं-तुम्हारी आत्मा को
जिसमें सुख हो, वैसा करो, सत्कार्य में प्रमाद
मत करो।" प्र. २६६ महाराजा उदायन के पुत्र का क्या नाम था ? उ. अभीचिकुमार । प्र. २७० महाराजा उदायन ने राज्य के बारे में क्या
सोचा था ? राजा ने सोचा-जिस राज्य को मैं स्वयं बंधन और दलदल समझ कर त्याग रहा हूँ, उस राज्य-पाश से पुत्र को क्यों बांधू ? सच्चा पिता पुत्र के लोकोत्तर हित की कामना करता है, क्षणिक लौकिक हित की नहीं। इस प्रकार राजर्षि उदायन ने राजनीति से ऊपर उठकर
अध्यात्म दृष्टि से चिंतन किया। प्र. २७१ महाराजा उदायन ने राज्य का उत्तराधिकारी
किसको बनाया था? महाराजा उदायन ने राज्य का उत्तराधिकार
अपने भानजे केशीकुमार को सौंप दिया। प्र. २७२ महाराजा उदायन ने राज्य भार सौंप कर क्या
किया था ?
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