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चरणसेविका सर्वात्मना समर्पित हूं। मेरा सुकुमार सौंदर्य आपके मधुर तन स्पर्श को पाकर कृतकृत्य हो जायेगा। प्राणेश्वर ! मेरे प्रणयाकुल हृदय को लात मार कर अब आप नहीं जा सकते ।" कामासक्त गरिएका ने अपनी भुजाएँ फैलाकर मुनिका मार्ग रोक दिया। ऐसा लग रहा था~मानों गरिएका की मांसल भुजाओंसे वासना की ज्वालाएँ निकलकर वैराग्य के हिमाद्रि को पिघलाने का प्रयत्न कर
रही हैं। प्र. २०७. नंदीषेण मुनि पर गणिका के ऐसे कथन का
क्या प्रभाव पड़ा? . एक दिन जो वासना का ज्वार, मोह का सस्कार कठोर तपश्चर्या से मंद हो गया था, प्राग जो गख से ढक गई थी, विरक्ति की शीतल लहरों से वासना का जो साँप ठिठुर कर मुच्छित हो गया था. वह आज पुनः वासना की गर्मी पाकर फुफकारने लग गया व सुप्त वासनायें पुनः जाग उठी। मुनि नंदीपेण गरिएका के स्नेहपाश में बंध गये। धर्मलाभ
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