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और आप जैसे महान राजाकी महारानी होने में मुझे आज कोई सार्थकता नहीं लगती। मैं
आज अपने को इस राज्य की रानी होने में हीनता एवं दीनता अनुभव करतो हूं, जबकि देवार्य चार मास से विना अन्न-जल प्राप्त किये
नगर में घूम रहे हैं. कुछ पता भी है आपको? प्र. ३६७ मृगावतो की बात सुनकर राजा शातानोक ने
क्या कहा था ? उ. शतानीकने अफसोस के साथ देवार्य के अभिग्रह
का पता लगाने का आश्वासन दिया । प्र. ३६८ शतानीक ने प्रभुके अभिग्रह के संबंध में क्या
किया था ?
राजा शतानीक ने महामात्य सुगुप्त, राजपुरोहित, अनेक बुद्धिशाली श्रमणोंपासकों एवं चतुर नागरिकों को बुलाया और देवार्य के अभिग्रह का पता लगाने का आदेश दिया। पर कोई भी उनके मनोगत वज्रासंकल्प का
पता लगाने में सफल नहीं हो सका। प्र. ३६६ धनावह शेठ बाहर से आया तो क्या देखा था? उ. चन्दना को भूखे-प्यासे भूमिगृह में पढ़े-पड़े