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प्र. ३३७ रथिक ने माँ-बेटी के साथ कैसा व्यवहार
किया था ?
रानी धारिणी के सहज सौन्दर्य पर वह अत्यन्त आसक्त हो गया । उसने रानी से कामप्रस्ताव किया :
प्र. ३३८ धारिणी रानी ने काम प्रस्ताव पर क्या किया ? जब रथिक उसके सतीत्व पर आक्रमण करने पर उतारु हुआ तो सिंहनी की भाँति गरजती
धारिणी रानी ने रथिक को फटकारा, विषयान्ध रथिक भूखे भेड़िये की तरह रानी के सतीत्व को चाट जाना चाहता था, तभी वीर क्षत्राणी ने जीभ खींचकर सतीत्व की रक्षा के लिए प्राणोत्सर्ग कर दिया ।
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४. ३३६ माता धारिणी के प्रारणोत्सर्ग पर वसुमती ने क्या किया था ?
एक और जाल में फँसी मृगी-सी भयाकुल राजकुमारी भय से थर-थर काँप रही थी. माता का प्राणोत्सर्ग उसकी श्रांखों में सावन 'बरसा रहा था, तो दूसरी ओर रथिक की -नीचता और अधमता पर चण्डी की तरह