________________
( १३६ )
तुच्छ सामर्थ्य का अनुभव हुआ, कहीं मैं पराजित हो गया तो, जान भी नहीं बच पायेगी ? तभी एक रात्रि को महाप्रतिमा ग्रहण करके ध्यानयोग में स्थिर श्रमण महावीर का स्मरण हुआ बस यही एक तपोमूर्ति श्रमरण ऐसे सामर्थ्य शाली हैं, जो मुझे शरणभूत हो सकते हैं ।
प्र. ३२० म. स्वामी ने एकादश चातुर्मास के बाद किस ओर विहार किया था ?
उ.
वत्स देशको राजधानी कौशंवी नगर की ओर । प्र. ३२१ म. स्वामी ने विहार में कैसा ग्रभिग्रह तप
किया था ?
उ.
कठोर ( घोर) अभिग्रह तप किया था ।
प्र. ३२२ म. स्वामी ने अभिग्रह तप कब किया था ?
उ.
पौष कृष्ण प्रतिपदा को ।
प्र. ३२३ म स्वामी ने कितने बोलका अभिग्रह तप
•
ग्रहण किया था ?
उ.
तेरह बोल का ।
प्र. ३२४ म स्वामी ने कौन-कौन से तेरह बोल फा
•
श्रभिग्रह किया था ?