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( १२७ ) . पड़ेंगे? तुम्हारा भविष्य जब अंधकारमय ,
और सघन कर्म-कालिमा से कलुषित देखता हूँ तो.... " कहते-कहते प्रभु की अनंत करुणा और वात्सल्य वर्षा की तरह उमड़ कर आँखों . मे बरस पड़े। उनकी पलकें करुणाद्र हो उठी, मुख मुद्रा वात्सल्य रस से आप्लावित हो गई। श्रमण महावीरके वचनों की हृदय-वेधकता, उनकी आँखों की प्रार्द्रता और मुखाकृति की करूणा शीलता ने संगम के पाषाण तुल्य हृदय पर वह चोट की, जो आज तक उनकी कठोर तितिक्षा से भी नहीं हो पाई थी। संगम लज्जित हो गया, उसका अनन्त हृदय उसे धिक्कारने लगा और वह महावीर के समक्ष
ऊँचा मुह किये क्षण भर भी ठहर नहीं सका। .... : आग से खेलनेवाला संगम पानी से हार कर
भाग गया। 'प्र. २६१ म. स्वामी को सुगम देव के कारण कितने दिन ।
का उपवास हुया था ? 8. छः मासी नप ( १८० दिन का उपवास)। 'प्र. २६२ म. स्वामी ने छः मासी तप का पारणा कहाँ
किया था?