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Jianimandalaama
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ने अपने निश्चयं के अनुसार आँख की .. पलकें भी वन्द नहीं की। .. (२) तीक्ष्ण मुंह वाली चींटियाँ चारों ओर
से महावीर के शरीर को काटने लगी। तन छलनी सा हो गया, पर महावीर
का मन वन सा दृढ़ रहा। . . (३) मच्छरों का झुण्ड महावीर के शरीर को
काट-काट कर रक्त चुसने लगा, ऐसा प्रतिभासित हुआ कि किसी वृक्ष से रस चू रहा है या पर्वत से रक्त के झरने झर
(४) बिच्छुओं ने तीब्र दंश-प्रहार किया। (५) नेवलों द्वारा मांस नोचा गया। (६) भीमकाय विषधर सर्प शरीर से लिपट
कर जगह-जगह दंश मारने लगे। (७) तीखे दाँत वाले चूहे काट-काट कर महा
योगेश्वर को संत्रास देने लगे। (८) दीमक महावीर के पूरे शरीर पर लिपट
गई और भयंकर दंश द्वारा काटने लगी।