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खोज करने के लिये दृढ निश्चयी वना दिया। चन्द्र मे अमृत है। चन्द्र ने कन्या राशि मे बैठ कर बुध को समस्त गुण प्रदान कर दिये और बुध ने सूर्य से योग बनाया अत उस अमृत का स्वाद आत्मा को आया और उस अमृत को पान करने के उपरान्त सभी सासारिक सुख और चमचमाती समस्त सम्पदायें हेय प्रतीत हुईं और मन मे एकाग्रता आने के पश्चात् सर्व ऋद्धि-सिद्धियो पर एकाधिकार हो गया । तथा ससार के समस्त सुखो का वियोग कराके मुक्ति रमा से नाता जुडवा दिया।
ध्यान रहे कि केतु की नवम् दृष्टि चन्द्र पर है। केतु की इच्छा के विपरीत मुक्ति-मार्ग मिलना असभव ही है। दशमे स्थान मे शनि अपनी उच्च राशि तुला मे स्थित है। शनि अपनी स्व राशि मे या मूल त्रिकोण राशि में या उच्च राशि का होकर केन्द्र मे हो तो 'शशक' नाम का योग बनता है। ___शशक' योग मे जन्म लेने वाले जातक साधारण कुल मे जन्म लेकर भी राज्य सिंहासन के अधिकारी होते है। उनकी सेवा के लिये प्रतिहारी नियुक्त रहते हैं। वह सरल स्वभाव और सौम्य मुद्रा धारी होता है तथा वह दिग्दिगन्त मे भारी प्रशसा का पात्र होता है।
शानि का प्रभाव नभ-मण्डल मे सर्वोपरि है। दशम स्थान से पिता का और निज कर्मों का विचार किया जाता है। दशवें स्थान की उच्च राशि मे स्थित शनि पिता की यश कीर्ति की महानता और प्रसिद्धि की सूचना दे रहा है। शनि कह रहा है कि मैं दशवें स्थान मे उच्च राशि के अन्तर्गत होकर उच्च कोटि के कर्म कराने की क्षमता एव अधिकार सुरक्षित रखता हूँ अतएव उच्च कर्म कराके ऐसे पद पर पदारूढ कराऊँगा जहाँ पर पहुंचने का स्वप्न मे भी विचार नहीं आया हो। शनि कह रहा है कि मुझ मे शुक्र को छोड कर समस्त ग्रहो की भावनायें विद्यमान हैं