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जिन महावीर प्रभु ने घाति कर्म शत्रुओ को नष्ट करके अनत एवं अनुपम क्षयिक गुणो की प्राप्ति की
तथा जिन्होने सम्पूर्ण भव्य जीवो को परमानद प्रराता
केवल ज्ञान प्राप्त किया तथा
आज भी भव्य जीवो के लिये मुकुट मणि के समान
शोभायमान है
ऐसे त्रैलोक्य तारण समर्थ वर्द्धमान जिनेश्वर
___ को वन्दे तग्दुण लब्धये के स्वर मे
स्तुति वदना करता हू परम-पुनीत पच्चीस वे शतक पर भाव-भीनी विनयाञ्जलि
अपयिता :मगनमाला जैन धर्मपत्नी पंकजराय जैन सुनील कुमार नीनारानी जैन १२८६ वकीलपुरा देहली
११०००६