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जिहोने वीरता कीपरिभाषा को दूसरों पर विजय प्राप्त करके नहीं
प्रत्युत अपने विपर्यय स्वरूप पर विजय प्राप्त करके बदल दिया
तथा जिहोंने वीर भोग्या वसुधरा के परम्परागत सिद्धांत को चुनौती देकर वीतरागता के पावन-पथ पर ___ अपने कदम वढाते हुए
और उसके स्थान पर "वीर त्याज्या वसुधरा" के सिद्धात की प्राण प्रतिष्ठा की
ऐसे
वीर-महावीर अतिवीर प्रभु के
वीतरागी चरणो मे मेरा बारम्बार नमस्कार अर्पित हो। परम-प्रतीत पच्चीस वें शतक पर भाव-भीनी विनयाञ्जलि
अर्पयिता :
छावडा बूट हाऊस प्रो. सरदार चरणजीत सिंह छावड़ा स्टेशन रोड खुरई (जिला सागर) म प्र १. सच्चाई और सरल व्यवहार व्यापार की कुजी है। २ सत्यता से व्यापार वढता है और शाख बनती है ।