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जिहोने
इस युग मे वीतरागता के धर्मतीर्थ का प्रवर्तन अहिंसा-सत्त्य अचौर्य ब्रह्मचर्य एव अपरिग्रह की जीवन्तमूर्ति बन कर किया जो शमवशरणादिक वाह्य विभूतियो से और
अनत चतुष्टयादिक अतर्वैभव से सम्पन्न थे तथा जिनके
तीर्थंकर नामकर्म की सर्वोत्कृष्ट महापुण्य प्रकृति का उदय था ऐसे
निर्लिप्त अनासक्त योगी परम आर्हत
तीर्थकर श्री महावीर जिनेश्वर के
पादपद्मो मे
हमारी कोटि कोटि वदनाऐ
परम प्रनीत पच्चीस वे शतक पर भाव-भीनी विनयाञ्जलि
अर्पयिता :--
सिंघई परमानंद
जनरल किराना मर्चेट एव
पेटेट दवाइयों के विक्रेता
मु. पो खुरई (जिला सागर) म. प्र
बाबूलाल जैन