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जो
तत्त्व-बोध स्वरूपी सम्यक ज्ञान के सम्पूर्ण विकसित कैवल्य के द्वारा बुद्ध ही हैं
जो तीनो लोको के परम कल्याणकारी होने से शिव शकर ही हैं
जो रत्नत्रय मडित प्रशस्त मोक्ष-मार्ग के
विधि-विधायक होने से ब्रह्मा विधाता ही है
एव
जो आत्म-पौरुष की सर्वश्रेष्ठ उत्तमता को प्राप्त होने से
प्रत्यक्ष ही पुरुषोत्तम विष्णु है
ऐसे
एक हजार आठ नामो से सबोधित होने वाले
वर्द्धमान स्वामी
हमारा सवका कल्याण करे परम-पुनीत पच्चीस वे शतक पर भाव-भीनी विनयाञ्जलि
अर्पयिता --- साहित्यरत्न पं० हीरालाल जैन 'कौशल' शास्त्री
__ अध्यक्ष जैन विद्वत्समिति ३७४६ गली जमादार पहाडी धीरज देहली-६