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सर्वज्ञ तीर्थकर भ० महावीर की धर्म सभा
जयन्त दार
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वैजन्तद्वार
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O RATE विजयक द्वार भक्तामर द्वारा रचित सभा-मडप वैभव युत समवशरण । त्रय गोलाकार प्रकोष्ट सहित विस्तृत सर्वोदय का कारण ॥ मानाङ्गण मे चौपथ चौदिशि जिन प्रतिमा मानस्तम्भ खडे । उनके आगे सरवर सुदर पुनि प्रथम कोट मे रतन जडे ।।
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