________________
विकास की कहानी कहता है । चिन्न लिपि मे लिखित ये चिन्न । हमे यह समझाने का प्रयास कर रहे है कि अगर शाश्वत सुख शान्ति की अभिलाषा है तो अपनी आत्मा का विकास करे। विकास की गति जितनी सशक्त होगी सुख एव शान्ति उतनी ही निकट होगी।
भगवान महावीर के पच्चीस सौवे परिनिर्वाणोत्सव के अवसर पर हम 'महावीर श्री चित्र-शतक' एक सचिन ग्रन्थ प्रस्तुत कर अत्यन्त हर्ष का अनुभव कर रहे हैं । आशा करते हैं कि चित्रों के साथ दिये गये हिन्दी छन्द उन्हे समझाने में सहायता करेगे।
सभी प्राणी सुख-शान्ति प्राप्त करने का पथ प्राप्त कर सकेगे इस महान आशा के साथ हम यह ग्रन्थ सभी पाठकों के करकमलो मे समर्पित कर रहे हैं।
नेमिचन्द जैन एम ए साहित्याचार्य
प्राचार्य श्री पार्श्वनाथ दि. जैन गुरुकुल खुरई (सागर) म प्र.