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राजा हरिषेण द्वारा दिगम्वरत्व ग्रहण
युवराज हरीषेण श्रावक
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श्रुत सागर मुनि
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आयु पूर्ण कर वह सम्यक्त्वी अवधपुरी युवराज हुआ । वज्रसेन सुत हरीषेण नामक श्रावक सिरताज हुआ || श्रुतसागर मुनि से दीक्षित हो यथाकाल निर्ग्रन्थ हुआ । रत्नत्नय तप से प्रशस्त उनके द्वारा शिव-पथ हुआ ||
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