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क्रूर हिंसक सिंह प्रथम नर्क में
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फलस्वरूप वह प्रथम नरक मे पहुँचा पुन आयु कर पूर्ण । अहँकार मिथ्यात्व आदि सव विधि के द्वारा होते चूर्ण ।। नारकीय जीवन की झॉकी दिखलाना अत्यन्त कठिन । वहाँ रौद्र वीभत्स भयकर मृत्यु वेदना भय छिन छिन ।
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