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खोटे तप के प्रभाव से अग्निसह (अग्निमित्र) सनत्कुमार स्वर्ग
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सनत्कुमार वर्ग में पहुंचा, आयु पूर्ण करतापन्न । सात मागने नक गुन्द्र भोगा, चन्द्र पुण्यो का मधुरा ।। इन्द्रिय जन्य सभी मुख नवर, पराधीन बन्धक है। बाधा गुवत्त विषम फल दाता, दुल के उत्पादन है।