________________
पायवां सर्ग स्त्रियों के नितंब स्थानोंका लोग-उनके पति सेवन करते हैं,नदियों के नितंत्र-स्थानोंका-तटोंका भी लोग सेवन करते हैं। स्त्रियां पापसे रहित हैं, नदियां कीचसे रहित हैं। इस तरह यहांकी स्त्रियां और नदियां दोनों समान हैं ॥ ३५ ॥ इस देशने अपने उन ग्रामोंसे कुरुदेशको भी नीचा बना दिया, जो कि सदा पुष्प और फलोंसे लझे रहनेवाले सुंदर वृक्षोंसे व्याप्त हैं, मुघा समान या सुधा-कलईसे धवल महलोंसे पूर्ण हैं, तथा जिनमें उज्वल पुरुष निवास करते
इस देशमें विद्वानोंसे भरा हुआ पोदन नामसे प्रसिद्ध एक बहुत वड़ा नगर हैं । जिसने अपनी कांतिसे दूसरे समस्त नगरोंको नीचा कर दिया है । यह ऐसा मालूम होता है मानो . आकाशसे स्वर्ग ही उतर आया है ॥३७॥ जहांपर रात्रिके समय मकानोंके ऊपरकी जमीन-उत, जिसकी कि प्रभा मणियोंके दर्पणकी तरहं निर्मल है तारागणोंकी प्रतिविम्बके पड़ जानपर ठीक ऐसी शोभाको प्राप्त · होती है मानों इसपर चारों तरफ नवीन-अनधि मोती विखर
गये हैं ।। ३८ ॥ जहाँपर स्फटिक मणियोंके बने हुए मकानं हिमालयकी सम्पूर्ण शोमाको धारण करते हैं। क्योंकि यहांके मकान भी हिमालयकी तरहसे ही धवल मेघोंसे घिरे रहते हैं । एवं जिस तरह हिमालयमें बहुतसी भूमि-गुहां होती हैं उसी तरह मकानोंमें भी बहुतसी भूमि-खन हैं। जिस तरह हिमालयके ऊपर तारागणोंके समान पक्षियोंकी पंक्ति रहती है उसी तरह मकानोंके ऊपर भी रहती है . ॥ ३९ ॥ जहां सामान्य तलावोंके तटोपर लगी हुई शिरीष समान कोमल हरिमणियोंकी-पन्नाओंकी कांति, नवीन शैवालके