________________
___ACT VI 6
157
माछ । पतिव्रतामण कि नाम विष दापरन्तपरिवार
माल्य । वत्से युज्यतेऽपि।
___ पतिव्रतामयं ज्योतिः शन्तं दीनं च घुयते । विमृश्य। अथवा किं नाम सा वराकी।
___ दुष्कर्मणां परीपाकः स्वेषामेवैष दीयते ॥६॥ 5 चिज । कर्णिमादामह पदम खु दण्डकारणपरंन्नपरिटुिंदविविहमहींहरप्पदेसेसु णिवासो जे अम्हाणं रक्खसाणं विहाँरो क्खु णिखिलम्मि जम्बूंदीवे । सम्पदं खुइह णअरे वि अचमो णिवासो। का "गदी । को पडिअरो॥
माल्य । वासे किमेवमतिकातरासि । पश्य । 10 दुर्गोऽयं च त्रिकूटस्तदुपरि नगरं सप्तधातुप्रकार
__प्राकारं दुस्तरैषा निरवधिपरिखायब्धिरभक्षोर्मिः ।
18
1 यतः add B only.
| 12 ज्जेब B जेव: जेब K, W, Sc, I. दीपं च पुष्यसे for दीप्तं च घुष्यते E. 13 विहारो B, E, K विहारा w, Se 3 अथ for अथवा K only
विहोरा , + परिपाकः E only
14 जम्बूदीवे B जम्बुदीवे E जम्बूदीपे । स्वेषामेवैष B, E, K खेमामेवेष I K, Se, I, जम्बूद्वीपे W. खेयमेवैष w, Sc
15 खु B, K, W, I, क्खु E, Se कनि? E only.
अववमो I, ' पहमं B पढंE पठमं K
18 अक्खमो K, E, So पंढमं|
| अखमो w. W, Sc, I, Along margin by rev. “The
"गदी E, K गई B, Se गइ W Rakashasas once people[d] Jamb-Dwipa
गरी, of now driven from Lanka where are they to go', w.
18 पडी० for पडि E only 8 °कारण्य. for °कारम K only __19 दुर्गोऽयं च त्रिकूट : दुर्ग सोऽयं
' Orng परन्त , but changed to °परन्त त्रिकूट° B दुर्गोऽय चित्रकूट° K, W, by rev , B परन्त° cett..
| Sc, I, + 10 परिच्छिद B परिट्ठिदं : परि- 20 सप्रधातुर्मकारं E only ट्टिद° cett
दुर्गमेषा for दुस्तरेषा E only in विविह. om E विहK विविह 22 व्यच्चि for "प्यब्धि° I only cett.
23 रध्रकर्षाभिः E only.
-
19