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श्रीगुणचंद महावीरच०
८ प्रस्ताव :
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जस्साए कीर पुरमंदिररजलच्छिसंचागो । मुञ्चइ सिणेहबंधुरबंधव जण गाढपडिवंधो ॥ १० ॥ आयाविजइस गिम्हवहितत्तसकरुकेरे । भूमीयलंमि हिमकणदुविस हे सीयकालेऽवि ॥ ११ ॥ भुंजिबइऽसद सुछतुच्छमरसं च भोषणं पाणं निवसिज भीमसुताणमुन्नगिहरन्नमाईसु ॥ १२ ॥ सेविजंति पइदियहमेव वीरासणाइठाणाई | छछुट्ट माइदुकरतव चरणाई पि कीरंति ॥ १३ ॥ अहियासिज्जइ नरतिरियदेवविहिओवसग्गवग्गोऽवि । न गणिजइ दुविसहो परीसहाणं पबंधोऽपि ॥ १४ ॥ तिहुयणपणमिचलणो भवभयमहणो जिणो महावीरो ।
उभउच्चिय एगागी तं मोक्खपयं समणुपत्तो ॥ १५ ॥ सतहिं कुलयं ।
अह सवेऽवि सुरिंदा च विहदेवेहिं परिवुडा झत्ति । चलियासणा वियाणियजिण निवाणा समोइन्ना ॥ १६ ॥ विगयाणंदा बाहप्पवाहवाउलियनयणपम्हंता । जगनाहस्स सरीरं नमिउमदूरे निसीति ॥ १७ ॥ अह सोहम्माहिवई गोसीसागरुपमोक्खदारूहिं । नंदणवणाणिएहिं चियमेगंते रया चित्ता ॥ १८ ॥ अह सुरहिखीरसायरजलेण व्हविऊण जिणवरसरीरं । हरिचंदणोवलित्तं नियंसियामलदुगूलं च ॥ १९ ॥ सट्टाणपिणद्धविचित्तरयण किरणुब्भडाभरणरुइरं । सिवियाए संठवित्ता नेइ चियाए समीमि ॥ २० ॥ अह देविंदे जयजयारवं निम्भरं कुर्णतेसु । कुसुमुक्करं मुयंतेसु सबओ खयरनियरेसु ॥ २१ ॥
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इन्द्रप्रार्थन निर्वाण च
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