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ताहे तेवीस जिणे अजियाई वीरनाहपजते । समबुद्धिबलायारे तिहुयणजणपणयपयपउमे ॥ ११८॥ तह तेर्सि च अण्णोऽण्णमंतरं सयलकालकलणेणं । वणं पमाणमाउं गोत्तं तह जणणि जणगा य ॥ ११९॥ जम्मणनयरे य तहा कुमाररजाइ सव्वपरियागं । सिद्धिगईपजंतं भयवं भरहस्स साहेइ ॥ १२० ॥ पुणरवि पुच्छइ भरहो मम सारिच्छा कईह होहिंति ? । सगराई एकारस चकहरे कहइ सवन्नू ॥ १२१ ॥ अप्पुट्ठोऽविहु भयवं पुणोऽवि वागरइ भरहनाहस्स । नव वासुदेवबलदेवजुवलए भाविणो मरहे ॥ १२२ ॥ पुणरवि भणिओ भरहाहिवेण तइलोकमंदिरपईयो । अवलोइऊण परिसं खयरामरनियरपरियरियं ॥ १२३ ॥ छठ्ठठ्ठमाइतवकिसियसाहुसुधम्मकारिगिहिकलियं । भयवं! किमेत्थ कोऽवि हुपाविस्सइ तित्थयरलामं ॥१२४॥ तह चक्कवहिलच्छि चोइसवररयणगुणमहग्धवियं । अहवावि वासुदेवत्तणपि पावेज भरहमि ? ॥ १२५ ॥ ताहे कलियकुलिंग मिरिई एगंतसंठियं भयवं । दावइ जह एस जिणो चरिमो होही तुह सुओत्ति ॥१२६॥ एसोचिय गामागरनगरसमिद्धस्स भारहद्धस्स । सामी तिविदुनामो पढमो तह वासुदेवाणं ॥ १२७ ॥ एसो महाविदेहे पियमित्तो नाम चक्कवट्टीवि । मूयाए नयरीए भविस्सई परमरिद्धिजुओ ॥ १२८ ॥
एवं च आयन्निऊण भरहनरिंदो पहिट्ठमणो पणमिऊण भयवंतस्स चरणसरोरुहं तक्षणमेव अणेगसुहसेगावइनिवहपरिवुडो पयट्टो नियसुयस्स मिरियस्स वंदणणिमित्तं, तदंतरे चारणलद्धिसंपन्ने ओहिंनागधरे मणपजवनाणिणो
NoomanamaAR