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पहु सालगामिहाणे गामे तत्तो विणिक्खमेऊणं । सालिवर्णमि जिणिदो धम्मज्झाणं समारुहइ ॥ ११ ॥ सालजानामेणं वंतरदेवी अकारणं कुविया । कुणइ विविहोवसग्गे तत्थेव ठियस्स जयगुरुणो ॥ १२ ॥ सयमेव परिस्संता जाहे उवसग्गणेण सा पावा । ताहे पूर्व काउं जहागयं पडिनियत्तत्ति ॥ १३॥ उपसग्गकारगचिय परिस्सममुवहति चोज्जमिणं । कीरति जस्स सो पुण कत्थवि नो गणइ जयनाहो ॥ १४ ॥ अह भुवणतिलयभूए सुविभत्तचउक्कचचरावसहे । लोहग्गलंमि नयरे सामी पत्तो विहरमाणो ॥ १५॥ तत्य य राया दरियारिसूरनिहलणदंतिरासिसिहो । जियसत्तू नामेणं भुवणपसिद्धो समिद्धो य ॥ १६ ॥ तइया तस्स विरोहो जाओ पचंतराइणा सद्धिं । ताहे अपुचपुरिसो पेहिजइ चारपुरिसेहिं ॥ १७ ॥ दिट्ठो य तेहिं सामिय पुट्ठोऽवि न देइ जाव पडिवयणं । रिउहेरिउत्ति कलिऊण ताव गहिओ विमूढेहि ॥ १६ ॥2 अत्थाणमंडवत्थस्स राइणो तक्खणं समुवणीओ। अह पुवविणिहिट्ठो उप्पलगो पेच्छिउँ सामीं ॥ १९॥ हरिसुक्करिससमुट्ठियरोमंचो वंदिऊण भत्तीए । भणइ नरिंदै एसो न होइ भो चारिओ किं तु ॥ २० ॥ सो एस जेण तइया आवरिसं कणगवारिधाराहि । निववियमत्थि जायगकुटुंबमिच्छाइरित्ताहि ॥ २१ ॥ सिरिधम्मचकवट्टी सिद्धत्थमहानरिंदकुलकेऊ । पवजं पडिवन्नो सयमेव जिणो महावीरो ॥ २२ ॥ किं वा सुरखयरनरिंदविंदवंदिजमाणचरणस्स । एयस्स पुरा तुमए निसामिया नेव कित्तीवि? ॥ २३ ॥
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