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णमग्गणजणो चेत्तस्स बहुलडमीए उत्तरासादनक्खत्ते पच्छिमपहरावसेसे दिवसे कच्छमहाकच्छपहाणं नियनियपुण्ण(च) निहित्तरज्जवावडाणं चउहिं सहस्सेहिं मंडलेसराणं परिवुडो देवदानवुक्खित्तविचित्तचित्तोवसोहियसुदंसणाभिहाणसिविकाधिरूढो परमविभूईए समग्गकाणणलच्छिलीलावर्णमि उज्जाणे कयक कितवकम्मो परिचत्तसवंगसंगिरयणाभरणो सयमेव चाउमुट्ठियं लोयं काऊण कयसिद्धनमोकारो पडिवण्ण सव्वसावज्जजोगविरती बत्तीस सुरेसरेहिं चउव्हिदेवनिकायसहिएहिं सम्भावसाराहिं महत्याहिं पसत्याहिं गिराहिं धुव्यमाणो पंचिंदियदिचतुरयदमणो समणो जाओति ॥
सुररायनिसिविसिठ्ठदूसमंसावलंवि वहमाणो | कच्छमहाकच्छपमोक्खभिक्खुलोएण परियरिओ ॥ १९ ॥ परिचत्तसव्वसावज्जजोगसंगो तिगुत्तिगुत्तो य । अप्पडिवद्धो गामाणुगाममह विहरिओ भयवं ॥ २०॥ जुम्म कणसमिद्धसमुद्धराय मणुया मुणंति नो तइया । का भिक्खा के तग्गाहिणोत्ति भिक्खं भर्मतंमि ॥ २१ ॥ परमेसरंमि ताहे नियपहुपणएण कणगकरितुरए । इत्थी महत्थवत्थे पणया मणुया पणार्मेति ॥ २२ ॥ जुम्म भिक्खं अपायमाणा कच्छमहाकच्छपभिइणो मुणिणो । पइदियहमणसणेणं संजायसरीरसंतावा ॥ २३ ॥ donated मोमस्सि ते उवायमलभंता । परिसडियपंडुपत्ता भोइणो काणणंमि ठिया ॥ २४ ॥ जुम्म भयकंपि निप्पकंपी सुरसेलो इव विसिद्धसंघयणो । पइदिणमदीणचित्तो गागी विहरइ महिंमि ॥ २५ ॥