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________________ Trum བ་ r 'ཨེ་ཙྪཱ gs कह जिन लोशनीजनहार की रक्षकोई : हनिलकदक.कारन अनुमति में नई पह ने मामला नही. अरे की राजन बड़ा रह. ཚ འི་ ལ པྤབྦེ ཚེ དོམཤྩ བྷཱུ ཙཱམ་ = ས་ཛེr* निजी और रेरिनहि नोचिनिनारिक तन र बहा तारा रे मन्त्री नव हाइन अंगस बिलगाई। जि औलर बाइके बाहै येनी को मनाई। बाहर जाना है। Funny 44/ ki पन् पाँचवा प्रह न्यान-इण्डक क लनमा भाता है। दमण---भभी कहाँ हो । हाय भारीच ने नाई के मा श्रख दिया। हप धरे यह भोध के चलत शोक की आखि। दुखलन भरत देहदुख वाल हिये मह लागि और अटा नरिमन कुटिल देखि करिये अनुमाना। दबी श्रीर बल देहगेह मह कापसाला । उठतम ज्यों लिधुमध्य प्रधान बड़वानल। हिपो बज चोंबीच लसत बिजुरी जिलि बादल !! (राम पाते हैं) अपमान कील समान हिय मह गड़त मन धीरज हरे । मन शिलाज मलानि घोर अँधे मह यहिछन पर !! पिनुमित्र की वह विपति चेतत दुख सन सत्र तन धरै । दुनि हाय दला विचारि लिय की वित्त नहिं धीरज धी स्वचमष दादा तुम तो ऐने काम करते हो जेा संसार में कोई . कर सकता हो नहीं, अब विपचि में धीरज छोटे देते हो
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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