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साफ महिमाला
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नजर विना बलुप हा
सुन मानिनन्द लोई निन तंज पनि जोब असिमान जनावर। जगप्रसिद्ध करि रोष सोमुनि मोहि टेरस प्रावत ये सिने अनुदान न काम करने को
न है भो हाथ बहन हिल पटि चाल
परदे के दाड अरे हाम्लो, दशरथ का लड़का राम पर जो हम यह हैं । इधर प्राए ।
परशुराम पाते हैं। g:-शाह, राजकुमार तू पूरा इन्माकुवंशी है ।।
नोहितन धन हेतुनाव हुदायत । मान्ने क्षत्रिय तेज हमाचल पात्रत। निजहि मन्तजपाट सिंह नानज्यों डा।
जो गिरिजाभवन सम नखन बिदार सखिया--लगवान कुसल कर यह क्या कहते है। पशु: आप ही आप राजकुमार तो बड़ा सुन्दर निर हिलत पाँवसिखंत्रमंडल नवल सुघड़ शरीर है। माश्रियन सहज जनु नसत रुचिर भोर है मनोहना बहु निरखत विश्वलोचन चार है। तेहिमारियेच अननिहा! यह बोरस कडोर है। का सके नहीं जगवीर भाजुलों जो धनु तोरी।
ला के इरत कोध बांह प्रेरी अब मोरी। अपर कहि लोक गहत जेहि शिवहि चूकार। सो यह परशु कठोर कठ पर तब फसि मारे ।