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रोज कुरई की गई। लीत:-- प्रार्थनाई है हो अन्दा लिने ।
(चमतो है र स्थानश्रीसंभाजी के स्ल इस क्रम
आगे पीछे नत और जस्लिम बानी है। सखियां देखिए कुबरी, कुमारोजो अब हुई मानही है।
- प्रेम और दया लौट के , देखिये यह बहुत बड़ाई है लोग समझाइये।
भारया--सरी नुम नो लदा ज हमसे कहती धा कि कुँ जी र असुर जोतने की सामर्थ रखते है. इन में तीन तक के मंगल करदेशले जथ के लक्षण है, तो तुम्हारा मुंह हिल जाता था। अब जय करने जाने हैं तो क्यों होती हो।
सीत...हाय, यह सब कवियों का नाश करने वाला रसराम है।
रामप्यारी तुम मुख ले लौट जात्रो ! सुन्दरता नियोरि अने जनुमंतु मधूक केल के रंगार। सालो बाद से नि शॉप' विमा नुम्हरे सब अंधार होत ले डलासरे होऊ कदुक से उसरे उ संगा। भूटीही झाल लो मोरो जिया तब टूटे नहीं निलो के रंग परदे के पीछे । ह ह वासयो प्रशरथ का मटका कहाँ है।