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________________ काममा महिला किन हो पर यकी ऐनी कृपा है। इस लोगों के तो का कुछ किया जोखाना दिया। : - अशी प्रारको विश्वास नहीं है। र अनिशिबालादालन जोय । के लए लोकायगर अध्छ होट राज - बहुत प्रा । यान करना है। - - पट्टी , इन झोनोंले कुछ और विचारा! को धारक दिवार कोश ! मानते है कदमाई जाने। रह-रका दिया। वह कहते है कि कुशवज जानें! परदे के पीछे बना होता है। महासमा जनु चनो शंकरतेज बहोत । सन्दके नौह अधबाप प्रगट लो होत। सीता--- दुई कर के अब मुझे बड़ा डर लगता है। विश्वा- राजा से) न्यो परबत बेटी परत कोपि नारा हड दाप! त्यो निज हाथ लगाइ सोई॥ कर्मिन:-अपमान करें ऐसा ही हो । मिला-- अति प्रसन्न और लजित सीता के गले लाकर ) राज:---- आश्चर्यले) दूटत बाप ॥ राक्षस-~पर इल पापी रामचंद्रका प्रसाच तो सब से बढ़ा है। ज्यों रविवसविनूपन राम माधो निज हाथ सों शमुखोदडा
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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