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________________ आशियल मस नई बस र जिन : विश्वासपात्रा सहजरत निजा भाई लाल यह है कि विना कर फिर सीन करते है. इस विकसी : जय श्रीरामचन्द्र जी की. जमीन की ? विश्वा२बह उतथ्य के पुत्र गौतमी संपली हत्या है : इन्हींके शतानन्द हुए थे। इन र इन्द्र प्रेस या इसी से सोनम की स्त्री के सतशियाईनेवाले इन्द्र ग्रह का यार कहते हैं । इस पर महात्माजीक बड़ा को हुा और अपनी श्री को शाप दिया कि जान एत्थर ही जासेमा भैव: TEE के तेज से इसके पाप छूटे। ཙཱ་ཡག འ * ཨུཙྪ ནུ་ ཀཱ་ཨཔྤཡྻ ཨཱི ཀྱི་ཡུ་ ང་: सीता--(श्लेह और अनुरसा से ही प्रापजैसा तप है बैला ही प्रभाव भी है। বা?-~~-সুংসক সুলনা ; देने प्रवास सुरामाई सीता धनुमंजन मह बल अधिकाई । करते नदि जो बरगुन भाई। (एक तपसी आता है। तपसी-रावण का पुरोहित सर्वनाय नाम एक बूढ़ा सक्षल माया है। सो राजकाज से आप से मिलना चाहता है। दोन कन्या-रे रान! .
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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