________________
केदारनी के हाथ का लिखा हुआ
नारायण अयोध्या आण्ट
समानुष ध्वनि।
दरम्य
उमा पुपीकत इस लीग का कारण उन्होंने लिखा है जन्मभूमि कलापुर
है।
रामायणों में बा हो गया
"लेख लाता सीताराम वीट ने उसकी दो याचक बड़े विम से वार्ड और रामायण के प्रेमियों के लियन दिया है। उसके साथ दोवामी जी का जीवनजोश व चिक, उनके राजापुर और काशी में निवास स्थान डाक दिन. राजापुर की पीधी के पृष्ठों का फोटोग्राफ यात्रा का कशा अयोध्या और चित्रकूट के प्रसिद्ध स्थानों केकिको विज्ञायत से उपर आये हैं, लगे हैं सुन्दर कपड़े की जर तुम्हारे कक्षों के साथ है। इसमें दो हजार से ऊपर ब का है। और पेडी ही सो प्रतियां दागी गई है।
"
२६.४ है कि उसकी शिखी अकोल्याण्ड को योगी शुभ है। एक और बड़ा ॐ पाही इट अन्न के कारण
इस बार महसून )
मिलने का पता
रामनरायन लाल बुकसेल
कटरा---इलाहाबाद ।