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________________ " भगवान महावीर । चेटकको और महाराज सिद्धार्थको वैशालों और कुंडलपुरका राजा · कहा है । और मि० लॉने अपनी उपयुर्लिखित पुस्तकमे वैशालो अथवा ब्रजिदेश (विदेह आदि) में गणराज्यका होना सिद्ध किया है । इसलिए उपर्युक्त प्रकार राजा सिद्धार्थको इस राज्य संघमें सम्मिलित मानना अपयुक्त नहीं भासता है । वह उस समय ज्ञात कुलकी ओरसे संभवतः राज संघमें उपस्थित थे । अस्तु, जैसे कि मि० एन० एस० रामास्वामी एैयंगर० एम० ए० भी अपनी 'साउथ इन्डियन जेनीजन ' नामक पुस्तकके एप्ट १३ घर भगवान महावीरको नातपुत क्षेत्रिय व्यक्त करते हुए लिखते हैं कि " महावर वर्द्धमान उच्च प्रजासत्तात्मक राजपा घरानेनेसे उसी प्रकार थे, जिस प्रकार गौतमबुद्ध | उनके पिता सिद्धार्थ उस क्षत्रिय जातिके नेता थे, और वैसाल, कुण्डगाम और वनियगानके संयुक्त गणराज्यके एक शामननतासम्पन्न राजा थे। * अस्तु, उस सनयके अन्य प्रभावशाली राज्य भगवादिले जानेको स्वरक्षित रखने के लिए बहुत मंभव है कि इन राज्योने इस प्रकार एक गणराज्य कम कर दिया हो। किंतु इन विषयमे कोई निश्वयात्मक निर्णय नहीं दिया जा सकता है जब तक कि उस नमानेके और हाल मानून न हो जायें । अनएव महाराज चेक और नृप रूप में वैशाली और किस अधिपति थे, जैन ना 4 कारण है कि इ - बनाएकी श्री P vay करते हैं। जब इन
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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