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भगवान महावीर । लित धर्ममें असंतोप और अश्रद्धा पैदा कररहे थे। पुराने देवी देवताओंकी ओरसे उनको मोड़कर दूसरी तरफ ले जानेका प्रयत्न करते थे। प्रचलित धर्मकी जड़ डिगने लगी। ऐसा क्षेत्र इन सन्यासियोने धीरे २ तैयार कर दिया था कि नए विचारोंका वीज वोया जाय । पर अभी बीज बोनेवालेकी कमी थी और लोग उसीकी प्रतीक्षा कर रहे थे।' (देखो भगवान बुद्धदेव ट० १८-२४) प्रतीक्षा विफल न गई.। भगवान महावीरस्वामीने शीघ्र ही जन्म धारण किया । और उन तापसोको तपश्चरणका यथार्थ रूप और
आत्माका महत्व बतलाया, जिससे वे सन्मार्गमें प्रवर्तित हुए थे। 'इस प्रकार भगवान महावीरके जन्म समयमें भारतवर्षकी अवस्था थो अस्तु अब देखना है कि इन सर्वज्ञ भगवानने किस जातिमें और कहाँ जन्म लिया था।
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