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भगवान महावीर ।
"यह ( भगवान महावीर ) जैनियोंके आचार्य गुरु थे । पाक दिल, पाक ख्याल, मुजस्सम पाकी व पाकी जड़ी थे।...हम इनके नामपर इनके कामपर, और इनकी वेनजीर नफ्सकुशी - ( इन्द्रियनिरोध ) व रियाजतकी मिसालपर जिस कदर नाम · (अभिमान) करें बजा (योग्य) है ।
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हम अपने इन बुजुर्गोंकी इज्जत करना सीखें !....... इनके गुणोंको देखें, उनकी पवित्र सूरतोंका दर्शन करें, उनके भावोंको प्यारकी निगाह से देखें क्योकि यह धर्मकर्मकी झलकती हुई चमकती दमकती मूर्ति है । ........ उनका दिल विशाल था । वह एक वेपायां कनार समन्दर था, जिसमें मनुष्यप्रेमकी लहरें जोरशोरसे उठती रहती थीं; और सिर्फ मनुष्य ही क्यों उन्होने संसार के प्राणीमात्रकी भलाईंके लिये सबका त्याग किया; जानदारोंका खून बहाना रोकनेके लिये अपनी जिन्दगीका अपूर्व उपयोग लगा दिया ! यह अहिंसाकी परमज्योतिबाली मूर्तियाँ हैं । वेदोंकी श्रुति " अहिंसा परमो धर्मः " कुछ इन्हीं पवित्र महान पुरुषोंके जीवनमें सूरत इखत्यार करतीं हुई नजर आती हैं। ये दुनियाके जबरदस्त रिफाजवरदस्त उपकारी और बड़े ऊंचे दर्जेके उपदेशक और प्रचारक हो गुजरे हैं।
यह हमारी कौमी तवारीख ( इतिहास ) के कीमती रत्न हैं । हम कहाँ और किनमें धर्मात्मा प्राणियोंकी खोज करते हैं! इनहीको देखें ! इनसे बहतर (उत्तम) साहबे कमाल हमको और कहां मिलेंगे ! इनमें त्याग था, इनमें वैराग्य था, इनमें धर्मका कमाल था ? यह इन्सानी कमजोरियोंने बहुत ही ऊँचे थे। इनका खिताब " निन " हैं: