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भगवान महावीर ।
है, उससे विदित होता है कि उसने ३०-४० वर्ष और राज्य 1 किया । जिन राजाओंको खारवेलने जीता उनका राज्य नहीं छीना, किन्तु उनके नाम सम्मानके साथ शिलालेखमें लिखाए । इस दृष्टिसे खारवेल मनुष्यता और राजाओ के सम्मानके कारण अशोकसे अधिक उच्च है। इसने शिल्पकी बहुत वृद्धि की । अनेक राजप्रसाद, देवमंदिर व सार्वजनिक भवनोंका निर्माण कराया। इसमें धार्मिक: सहनशीलता भी थी । प्राचीन भारतने प्राचीन यूनान और रोमके समान भिन्न धर्मावलंबियोंके साथ कभी भी अत्याचार नहीं किया।खारवेल जैन धर्मके अनुयायी थे पर ब्राह्मणोंका भी किसी खास अवसर पर सम्मान करते थे- दान भी देते थे । (देखो जैनमित्र वर्ष २२ अंक ३४ पत्र ५२१ )
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इस प्रकार भगवान महावीरके तीर्थका अपूर्व प्रभाव प्रकट होता है, और भगवानके भक्तों में कुछ विशेष विख्यात् राजाओंका दिग्दर्शन प्राप्त होता है । अव हम भगवान महावीरके पवित्र जीवनसे जो शिक्षाऐं मिलती हैं, उनका उल्लेख करते हैं।