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भगवान महावीर। छिड़क दिया गया था, और वृक्षोंपर कन्डील और पताका लटका दिए गए थे । पुरवासी सुन्दर बहुमूल्य वस्त्राभूषणोंको धारण करके , भगवानकी बन्दनाको गए थे। भगवान उस उपवनमें एक तालाबके मध्य एक प्रेक्षकुञ्जमें अवस्थित थे। श्वेताम्बर ग्रन्थ व्यक्त करते हैं कि भगवानने यहां पर भी दिव्योपदेश दिया था। परन्तु महावीरचरित्रमें लिखा है कि उस वनमे आकर भगवानने सभाको छोड़ दिया था अर्थात् उनका समवशरण विघटित होगया था। • भगवानका उत्सष्ट आत्मिक प्रभाव उनके चहुंओर एक अच्छी सीमा तक फैल रहा था और उसका प्रभाव समस्त प्राणियोंपर पड़ा था, जिससे वे आपसमें परमसमताभावको धारण किए हुए थे,
और सुख एवं आनन्दका अनुभव करने लगे थे। पशु भी अपने वैरको विसार चुके थे। सिह और गाय साथ २ घूमते थे। एक कवि इस भावको अंग्रेजी भाषामें किस उत्तमतासे व्यक्त करते हैं।
SPOTTED DEER." *Broused fearless where the tigress fed her cubs, And cheetahs lapped. the pool beside the bucks, Under the eagle's rook the brown kares Eloured, Thele his fiercs beak but preened an idle wings The snake sunned all lua je veld in die bulk 18 TVith deadly fangs in sheath, the elrile le presso The nestling-finck; the cmerald huleymano, Suts dreaming whild the fishes played benualth; Nor huuhed the nerous, thoryh the butter, Lits, Crimson and blue and umbor-fitted liai Around his perch; the spirit of our Lordha Lay potent upon mont and bird wad bud., *
-Jiin Garetse Vol.xv. sort a