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श्रेणिक और चेटक। १३९ था । और इसीलिए उक्त बौद्ध ग्रन्थमें वासवीको एक साधारण लिच्छावी नायककी पुत्री लिखा है। जब कि लिच्छावी जातिकी कन्या चेटकराजाकी पुत्री और राजा श्रेणिककी रानी चेलना ही है, जिनका वर्णन अगाड़ी है। बौद्ध ग्रन्थों में महाराज श्रेणिककी एक अन्य रानी कौशलके नृपतिकी भगिनी बताई गई हैं, इनका उल्लेख जैनशास्त्रोमें नहीं है। संभवतः यही रानी खेमा होंगी, जो बौद्ध El it ! (Soe Gotama Buddba by K. J, Saunders P. 53) ____ महाराज श्रेणिकके राज्य प्राप्त करनेके पहिले नन्दश्रीके गर्भसे पुत्ररत्न उत्पन्न हुआ था, जिसका नाम उन्होने अभयकुमार रक्खा था और नन्दश्रीके पास छोड़ आए थे। इनका वर्णन हम अगाड़ी करेंगे।
राज्यसत्तासम्पन्न हो महाराज श्रेणिकको नंदिग्रामके विप्रोकी याद आई और उन्होने उनको दण्ड देना चाहा । अस्तु, अपराध लगानेके लिए उन्होने उनको दुष्कर कार्य करनेको बताए, परन्तु राजकुमार अभयकी सहायतासे वे उन्हें पूर्ण कर सके। जिससे विस्मित हो महाराज श्रेणिककी अभयकुमारसे भेट हुई और उन्होंने नन्दश्रीको बुला भेना । और उसे महादेवी बनाया | अभयकुमार युवराज हुए।
अथानन्तर विदेह देशकी वैशाली नगरीके अधिपति चेटकके सात कन्यायें थीं। इनमें प्रथम प्रियकारिणीका विवाह कुंडलपुरके खामी महाराज सिद्धार्थके साथ हुआ था, यह हम पहिले देख आए हैं। द्वितीय कन्या वत्सदेगमें कौशांबीपुरीके खामी महाराज नाथ अथवा सारको विवाही गई थी। तथा तृतीय कन्या जो कि वसु