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(घ) अनामिका (द्वितीय) (ड) तुलसीदास (च) कुकुरमुत्ता (छ) अणिमा (ज) बेला (झ) नये पत्ते (ट) आराधना (ठ) गीत-कुंज
(ड) सान्ध्य-काकली अध्याय-तीन
निराला काव्य का लौंजाइनस के उदात्त-सिद्धान्त के आधार पर आलोचनात्मक परीक्षण । (1) महान अवधारणाओं की क्षमता
(क) समाजिक यथार्थ विषयक औदात्य । (ख) प्रकृति के मानवीकरण में कवि का औदात्य। (ग) सौन्दर्य के माँसल-चित्रण में कवि का औदात्य। (घ) वैयक्तिक दुःखानुभूति का औदात्य।
(ड) आवेग मूलक भयंकरता का औदात्य (2) भावावेग की तीव्रता
(क) उज्जवल उदात्त सांस्कृतिक आवेग (ख) नव जागृति का आह्वान (ग) पुरूषत्व का समावेश (घ) कान्ति का मानवीकरण (ड) कवि का विरोधी स्वर।