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जो मृत्यु से नहीं डरता है उसी को जीवन का आनन्द प्राप्त होता है, अन्यथा व्यक्ति की सारी जिन्दगी मृत्यु में भय में ही व्यतीत हो जाती है। छायावादी कवि की प्रमुख विशेषता प्रकृति में प्रेयसी का दर्शन करना भी है। महाकवि की प्रमुख विशेषता प्रकृति में प्रेयसी का दर्शन करना भी है। महाकवि भी पहाडों पर तथा उपवनों में हरी घास से सजी हुई जिस कोमलांगी नारी के दर्शन होते हैं वह मृत्यु से न डरने वाले व्यक्ति को पुष्पों से भर देने के लिए प्रस्तुत खड़ी अप्सरा है जब मैं संसार में प्रेम से बंचित हुआ और मेरे जीवन में कोध के अवसर आए तब मुझे अपने स्पर्श से जो सान्त्वना देती है वह किरण उसी रहस्यमयी सत्ता का एक कोमल हाथ है, यहाँ कवि का दार्शनिक चिन्तन पद्धति भी मुखर है। जितना ही अपने जीवन में मृत्यु की विकरालता का अनुभव कर रहे थे। जितना ही उनका शरीर विष से दग्ध हो रहा है उतना ही स्वर कोमल और शान्त होता था। इसी आवेगपूर्ण एवं ओजस्वी कवि (जो मानव के बिना मृत्यु की वैतरणी पार करने वाले) का नाम है निराला ।
भविष्य के प्रति आशा:
निराला का काव्य भविष्य के प्रति आशा का संदेश भी देता है, तथा पूरे में कवि सकारात्मक सोच की तरफ बढ़ता है, सन् 1942 के 'भारत छोड़ों' आन्दोलन के समय देश ने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया था। यहाँ कवि निराला भारतीय इतिहास के गौरवपूर्ण अतीत की ओर संकेत करते हैं:
"यह देश! उधर अदम्य होकर बढ़ता ही चला राष्ट्र इस्लामी वेग प्रखर । पृथ्वी सँभालने में असमर्थ हुई निश्चय, दुर्दान्त क्षत्रियों में जो था प्राणों में भय। उन इतर प्रजाओं में छाया उसका तुषार