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उद्धृत-लंकापति-मूर्छित-कपिदल-छल-बल-बिस्तर। 'राम की शक्ति-पूजा' की इन पंक्तियों में राम की कोधित ऑखों की लालिमा के लिए बिच्छुरित-बहिन शब्द का प्रयोग किया गया है। जब की वहीं रावण की कोधित आँखों की लालिमा को लोहित शब्द का प्रयोग किया गया है। आगे इसी कविता में राम के मन में सीता की कोमल स्मृतियाँ जागृत होती हैं, उसको कवि ने कुछ इस तरह दिखाया है :
"देखते हुए निष्पलक, याद आया उपवन विदेह का,-प्रथम स्नेह का लतान्तराल मिलन। नयनों का नयनों से गोपन-प्रिय संभाषण पलकों का नव पलकों पर प्रथमोत्थान पतन काँपते हुए किसलय झरते पराग समुदय - गाते खग नव-जीवन परिचय, तरू-मलय-बलय
जानकी नयन कमनीय प्रथम कम्पनतुरीय।।2 'राम की शक्ति-पूजा' की पंक्तियों में भावानुरूप शब्द-योजना द्रष्टव्य हैं। विदेह-बाटिका में सीता के प्रथम दर्शन, नयनों का नयनों से गोपन प्रिय संभाषण', याद आते ही उस समय के विराट् अनुभूत्यात्मक प्रतिकिया भी स्मृति-पटल पर उभर आती है। पलकों का प्रथमोत्थान पतन, क्या हुआ कि किसलय काँप उठे, चतुर्दिक पराग प्रसवित होने लगा, तरूदल, मलय, बयलित हो उठे। मानों प्रातः कालीन स्वर्गीय ज्योतिः प्रपात चारों ओर झर रहा हो। निराला की यह विशेषता रही है, जिसे समीक्षकों ने विरोधों का सामंजस्य कहा है। एक तरफ युद्ध की भयावहता दूसरी तरफ प्रिया से मिलन की पहली
1. राम की शक्ति-पूजा : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ - 329 2. राम की शक्ति-पूजा : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ - 331
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