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उसका एक स्वप्न अथवा है। विधवा को फ्लैश-बैक में ले जाकर ऋतु के माध्यम से प्रिय-मिलन का सुन्दर वर्णन करना कवि निराला की काव्यमयी कला का सुन्दर नमूना है। नीरव पद में संचार में विरोधाभास झलक रहा है।
छायावादी कवियों के मन में उतार-चढ़ाव के अनुरूप ही कविता की व्यक्त शैली में भिन्नता आयी है कवि निराला का अन्दाज भी इसी प्रकार कभी दार्शनिक कभी गम्भीर, कभी विद्रोही तो कभी मनोहारी हो जाता हैं। कवि यहाँ मनोहर वातावरण का चित्र प्रस्तुत कर रहा है :
"कू-ऊ,कू-ऊ बोली कोमल अन्तिम सुख-स्वर, पी-कहाँ पपीहा-प्रिया मधुर विष गयी छहर,
छवि बेला की नभ की ताराएँ निरूपनिता, शत-नयन-दृष्टि
विस्मय से भरकर रही विविध-आलोक सृष्टि ।।2। निराला के उपर्युक्त कविता में शब्द-विन्यास प्रवाहपूर्ण एवं कोमल-कान्त है यहाँ कवि मिलन एवं बिछुड़न का अद्भुद् चित्र प्रस्तुत किया है साथ ही साथ इस बीच में आने वाली बाधाओं को हटाने का भी प्रयास कवि करता है। यहाँ प्रकृति का वर्णन उद्दीपन रूप में हुआ है 'पी कहाँ मधुर विष गई छहर' में विरोधाभास स्पष्ट झलक रहा है।
कवि निराला 'छत्रपति शिवाजी के पत्र' में जयसिंह को संबोधित एक पत्र लिख रहे हैं। साथ ही साथ उस अतीत में वर्तमान ढूंढ रहे हैं। निराला जी भारत के बिछड़े या भटके वीर सपूतों को वापस अपने घर आने का निमंत्रण देते
1. 'विधवा' : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ - 72 2 'बनवेला' : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ - 349
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