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आचार्य मेरुतुङ्ग का नाम अचलगच्छ के इतिहास में तथा संस्कृत साहित्य के दूतकाव्यो की परम्परा मे सदैव स्वर्णाक्षरो मे अंकित रहेगा। आचार्य द्वारा रचित जैनमेघदूतम् ग्रन्थ संसार के लिए वरदान स्वरूप है जो युगों-युगों तक दिग्भ्रमित मानव हृदय को दिशा और शान्ति प्रदान करता रहेगा।