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दूतघटोत्कच :-' दूतवाक्यम् के रचयिता श्री भास ही इस दूतकाव्य के भी रचनाकार है। इसमें भी कथा प्रसंग राजनीति से प्रेरित है, शृङ्गार पर आधारित नही। महाभारत का युद्ध जब अवश्यम्भावी हो जाता है तब श्री कृष्ण घटोत्कच को दूत बनाकर दुर्योधन के पास भेजते हैं। गया वह वहाँ पहुँचकर विनाश की स्थिति से दुर्योधन को अवगत कराते है, पर दुर्योधन कुछ नहीं सुनता है। तब घटोत्कच आदि भी युद्ध हेतु तैयार होते हैं। काव्य बहुत अच्छा है।
देवदूतम् :-' इस दूत काव्य के कर्ता के विषय में किंचदपि जानकारी नही है। परन्तु यह काव्य हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय से प्रकाशित आधुनिक दूतकाव्यो मे उल्लेखित है। ____नलचम्पू :-' अन्यदूतकाव्यो की भाँति इस दूतकाव्य की कथा रामभक्ति या कृष्णभक्ति पर आधारित न होकर पौराणिक कथा पर अधारित है। पुण्यश्लोक नल की कथा इस दूतकाव्य मे वर्णित है। काव्य के रचयिता श्री त्रिविक्रमभट्टजी है। काल निर्धारण में कुछ मत वैभिन्न्य अवश्य है पर प्राप्त सूत्रो के आधार पर ई. सन् ९१५ मे इस काव्य ग्रन्थ की रचना स्वीकृत हुई
काव्य में नल एवं दमयन्ती की प्रेमकथा वर्णित है। काव्य में दूत सम्प्रेषण की झलक एक ही स्थान पर नहीं, प्रत्युत अनेक स्थलों पर मिलती है। हंस एक पक्षी विशेष काव्य के नायक एवं नायिका है जो दोनों का दूत
आचार्य मेरूतुङ्ग कृत जैनमेघूदतम् (भूमिका मूल टीका एवं हिन्दी अनुवाद सहित-डा. रविशंकर मिश्र पृ. सं. प्रकाशित (वहीं उद्धृत है पृ. सं. ४४) प्रकाशित (वहीं उद्धृत है पृ. सं. ४५) प्रकाशित (आ. मेरूतुङ्ग कृत जैग मेघदूतम् भूमिका, मूल टीका एवं हिन्दी अनुवाद सहित-डा. रवि शंकर मिश्र पृ. सं. ४५)