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निवेदन
"प्रेरणा' (१६४५ ) मेरा प्रथम एकांकी-संग्रह था और 'संकल्प' (१६४६) दूसरा । चार वर्ष बाद अब यह तीसरा संकलन प्रकाशित हो रहा है। प्रथम के प्रकाशन के अवसर पर बो संकोच था, उससे बहुत कुछ मुक्ति 'संकल्प' के साथ मुझे मिल गयी थी। और अब ‘कर्मपथ' पर मै निर्भय होकर विचर रहा हूँ। आलोचकों की सम्मति का सविनय स्वागत करने के लिए
आज मैं प्रस्तुत हूँ। उनकी निष्पक्षता मेरा पथ प्रशस्त करेगी, इसका मुझे विश्वास है।
-प्रे ना० टंडन