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________________ कर्मशाला परिकलन/40 उदाहरण: आपस में गुणा करने पर 14 अ स-3 अब+2 और अ स-अ ब+1 14 अ स 3 अब+2 अस-अब+1 14 अस2-3अब स+2अ स -14 अब स +3अबर-2अब +14 अस -3 अब+2 14अस2-17अब स+16अ स+3 अब25-अ ब+2 भाग : भाग गुणा से उल्ट होता है । एक संख्या दूसरी सख्या में कितनी बार सम्मिलित है को ज्ञात करने की विधि को भाग कहते है ! अ+3 के द्वारा उदाहरण: भाग करो अब अ+12, अ+3) अ2+4 +12 (अ+4 अ+3अ 4 +12 4+12 सरल करना कोष्ठक को हटाना : कोष्ठक कुछ पदों को व्यंजक के रूप में बनाने के लिये प्रयोग की जाती है। कोष्ठकों का खास अर्थ है। जब जरूरी पद कोष्ठक के अन्दर बन्द होते हैं पहले हम पदों को संक्षिप्त करते है और परिणाम पदों को अगले स्थान पर प्रयोग करंग ! गुणा, भाग, जोड़ या घटाने के चिह्न कोष्ठक के सामने पाये जाते है ! और कुछ नियम लगाये जाते है कोष्ठक को हटाते समय । कोष्ठक को हटाने के नियम : 1. जब जोड़ का चिह्न किसी कोष्ठक के सामने लगा हो तो कोष्ठक के अन्दर के व्यंजक में कोई परिवर्तन किये बिना कोष्ठक को खोला जा सकता है। उदाहरण : अ+ (ब+स)-अ+ब+स 2. जब कोष्ठक के सामने घटाओं का चिह्न लगा हो तो कोष्ठक को हटा कर उसके अन्दर से चिह्न बदल देने चाहिए। उदाहरण : क-(ख+ग) = क-ख-ग 3. एक से अधिक कोष्ठक खोलते समय हमें सब से पहले छोटे कोष्ठक को खोलना चाहिए और अन्त में सब से | बड़ा कोष्ठक खोलना चाहिए। सरल करने के कुछ उदाहरण 1. सरल करो जब कि अ-2 और ब-3,3अब2-6अब --अब-3अ+ अब - अब+अब
SR No.010393
Book TitleKarmashala Parikalan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGurubachansingh Narang
PublisherHariyana Sahitya Academy Chandigarh
Publication Year1987
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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