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(३०) लोक में सनरह मागगंपम की आयुवाला सार्थ नायकं विमान में देव हुवा. पीसवें भव में भग्नचत्र में मंत्रिका नगरी में जित शत्रुगजा की गणी भद्रादेवी की कृल में पचीम लाग्ब वर्ष की आयु वाला नन्दन नामका पुत्र हुवा. वा पाटिलाचार्य के पास दीक्षा लेकर मास क्षपण के नपसे निरंतर भूपिन होकर वीन्न स्थानक की आली कर नीर्थकर गोत्र वांधा एक लाग्य वर्ष का चारित्र पालकर अन्नमें एकमास की मलखन ( प्रहार पानी शरीर ममन्त्र का न्याग) कर छवीमवें भवमे प्राणन कल्प में पुष्कोत्तर अवतमक विमान में वीस सागगेपम की आयु वाला देव हुवा. वहां से आयुप्य पूग कर सत्तावीम में भवो ऋषभदन ब्राह्मण के घर देवानंदा ब्राह्मणीकी कूवमें आये ( तीसरे भवमें जो नीच गात्र का कम बांधा वा सत्तावीस वे भवमें उदयमें आया )
अयं च एं समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीव दीवे भारहे वासे माहणकुंडग्गाम नयरे उमभदत्तस्स माहपस्स कोडालमगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिमि गठभत्ताए वकंते ॥ २० ॥
नजीयमे तीअपच्चुप्यन्नमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवरायाणं, अरहंत भगवते तहण्यगारहितो अन्तकुलहितो पंत तुच्छ० दरिदभिस्वाग० किवणकुलंहितो तहप्पगारमु उग्गकुलेमु वा भोगकुलेमुवा रायन्न नायखत्तियहरिवंसकुलसु वा अन्नयरेसु वा तहपगारेसु विमुद्धजाइकुलवेसेसु वा साहरावित्ता, तं सेयं खलु ममवि समणं भगवे महावीर चरमनित्ययरं पुबतित्ययरनिदिई माहणकुंडग्गामायो नयरायो उनुभदत्तम्म माणस्स कांडालमगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंघरमगुनाए कुच्छीयो खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खनियाणं सिद्धत्यस्म खत्तियस्स कासवगुनस्ल भा